गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- धर्मक्षेत्रे, कर्मक्षेत्रे, समावेत: युयुत्सव:!
मतलब ये संसार महाभारत के कुरुक्षेत्र की भांति युद्ध का मैदान है. यहां कर्मयुद्ध तो करना ही पड़ेगा. आप चाहें या नहीं. और कोई चारा ही नहीं है.
यह दुनिया ऐसी ही है. यहां कमजोरी अभिशाप है. प्रकृति भी कमजोर जीवों को जिलाए रखने के पक्ष में नहीं होती. चार्ल्स डार्विन का सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट का सिद्धांत भी यही कहता है.
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