Sunday 26 March 2023

दुनिया में अधिकांश महत्वपूर्ण चीजें उन लोगों द्वारा पूरी की गई हैं, जो तब भी प्रयास करते रहे हैं जब उन्हें कोई उम्मीद ही नहीं थी.

-डेल कार्नेगी


Friday 24 March 2023

लाइफ को रिफ्रेश-रिकनेक्ट करते रहें...


...लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती...

जीवन है तो मुश्किलें भी हैं. लेकिन ये आप पर निर्भर करता है कि आप मुश्किलों के आगे टूटकर बिखर जाते हैं या और मजबूत होकर निखरकर उनसे उबरकर सामने आते हैं. इसके लिए आपको सीखना होगा कि हालात कैसे भी हों आपको हार नहीं मानना है. जिंदगी आजमाइशें लाएगी लेकिन इनके सामने मुस्कराते हुए डट जाने वाला ही आखिरकार विजेता बनकर उभरता है. हमारे सामने अक्सर ये सवाल होता है कि मुश्किलें आएं तो क्या करें?

डेल कार्नेगी की ये लाइनें यहां काम आएंगी-

दुनिया में अधिकांश महत्वपूर्ण चीजें उन लोगों द्वारा पूरी की गई हैं, जो तब भी प्रयास करते रहे हैं जब उन्हें कोई उम्मीद ही नहीं थी.



मतलब हालात कोई भी हों आपको लक्ष्य की ओर जुटे रहना है. आपको मुश्किलों के आगे हार नहीं मानना है बल्कि स्मार्ट तरीके से उन्हें अपने पक्ष में करने की स्किल डेवलप करनी होगी. इसे आसान शब्दों में ऐसे समझिए.

आपने मोबाइल और लैपटॉप जरूर चलाया होगा. सोचिए यदि आपका मोबाइल या लैपटॉप कुछ प्रॉब्लम करने लगे तो आप क्या करते हैं? उठे उठाकर फेंक देते हैं? नहीं! यदि आप समझदार हैं तो उसे रिफ्रेश करते हैं और वह फिर से सही से चलने लगता है. इसी प्रकार यदि आपका इंटरनेट समस्या करे तो आप उसे रिक्नेक्ट करते हैं. 

यही आपको अपने जीवन के गोल के साथ करना है. अनेकों प्रॉब्लम और फेल्योर के चलते आपका आपके गोल के साथ कनेक्शन टूटने लगता है, तब हार मत मानो बल्कि खुद को रिफ्रेश करो और अपने गोल के साथ खुद को दोबारा रिकनेक्ट करो. तब जिंदगी की पिक्चर एक बार फिर क्लियर और स्मूथ चलने लगेगी.

''मजबूत रहो, सकारात्मक रहो और कभी हार मत मानो.'' – रॉय टी. बेनेट

ये कहानी आपको प्रेरित करेगी.

''एक बार एक लड़की अपने पिता के साथ कार से कहीं जा रही थी. कार लड़की चला रही थी. अचानक रास्ते में एक भयंकर तूफ़ान आया. लड़की ने कार रोकी और पिता से पूछा अब हम क्या करें?  पिता ने जवाब दिया “कार चलाती रहो”.

लड़की कार चलाने लगी. तूफ़ान में कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, तूफ़ान और भयंकर होता जा रहा था। अब मैं क्या करू? लड़की ने फिर पूछा. कार चलाती रहो, पिता ने कहा.

थोड़ा आगे जाने पर लड़की ने देखा कि रास्ते में कई वाहन तूफ़ान की वजह से रुके हुए थे. उसने फिर अपने पिता से कहा मुझे कार रोक देनी चाहिए, मैं मुश्किल से देख पा रही हूं, यह भयंकर है और प्रत्येक ने अपना वाहन रोक दिया है.

उसके पिता ने फिर निर्देशित किया, कार रोकना नहीं, बस चलाती रहो.

तूफ़ान ने बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लिया था किन्तु लड़की ने कार चलाना नहीं छोड़ा.

और अचानक ही उसने देखा कि कुछ साफ़ दिखने लगा है. कुछ दूर आगे जाने के बाद लड़की ने देखा कि तूफ़ान थम गया और सूर्य निकल आया.

अब उसके पिता ने कहा – अब तुम कार रोक सकती हो और बाहर आ सकती हो, लड़की ने पूछा पर अब क्यों?

पिता ने कहा जब तुम बाहर आओगी तो देखोगी कि जो राह में रुक गए थे, वे अभी भी तूफ़ान में फंसे हुए हैं. चूंकि तुमने कार चलाने का प्रयत्न नहीं छोड़ा, इसीलिए तुम तूफ़ान के बाहर हो.''

Sunday 19 March 2023

आतीं न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियां

दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया।

 

Sunday 12 March 2023

हमारी खुशी की कुंजी हमारे खुद के पास है...

किसी ने सच ही कहा है कि- अगर आप हमेशा परेशान रहते हैं तो इसका मतलब है कि आपके जीवन जीने के तरीके में जरूर कोई न कोई फॉल्ट है...

काम की मजबूरी, भागमभाग की जिंदगी, परिवार में तनाव, पारिवारिक झगड़े, डिप्रेशन, एंजाइटी, नशा... आज के आधुनिक जीवन की वो सच्चाइयां हैं जिन्हें इंसान ने अपने ऊपर इस हद तक ओढ़ लिया है कि कभी-कभी लगता है कि इनसे छुटकारा ही संभव नहीं है. लेकिन क्या यही जीवन का आखिरी सच है? या आपके पास कुछ ऐसा है जिसे आप एक्सप्लोर नहीं कर पा रहे हैं? कुछ ऐसा जो आपकी खुशियों और आपके बीच पर्दा डाले हुए है और आप उन तक पहुंच नहीं पा रहे हैं?



आज बिजी जिंदगी जी रहे इंसान के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि आनंद की तलाश कहां करें? आनंद के लिए किसके पास जाएं. क्या कोई और इंसान आपको आनंद तक पहुंचा सकता है या कोई जगह-कोई चीज आपको आनंद दे सकती है?

दरअसल, एक खुशहाल जिंदगी के लिए हमें ये बात समझनी होगी कि हमारी खुशियों की कुंजी हमारे पास ही है. खुशियों के लिए हमें सबसे पहले खुद के पास जाने की जरूरत है, खुद से जुड़ने की जरूरत है. दूसरे शब्दों में कहें तो बैक टू बेसिक का फॉर्मूला ही हमें खुशियों तक या आध्यात्मिक भाषा में कहें तो आनंद तक पहुंचा सकता है.

अगर आप खुद को, खुद के समय को, खुद के मन को और खुद के मस्तिष्क को पहले मैनेज करना सीख जाएं तो समस्याएं भी मैनेज होने लगेंगी. आपको इसमें मजा भी आने लगेगा लेकिन इसका एक प्रोसेस है जिसके लिए रोज आपको कुछ समय अपने लिए निकालना होगा. आप सोच रहे होंगे कि खुद के लिए क्या समय निकालना? सारा समय मेरा ही तो है. लेकिन ऐसा नहीं है. आप अपने रोज के समय को गौर करके देखें कि कितना समय आप खुद के ऊपर दे पाते हैं?

सबसे पहले खुद के लिए एकांत का एक समय निकालें. रोज सुबह या शाम सिर्फ 15 मिनट. जिसमें आप देखें कि आज का दिन कैसा गया. सबसे ज्यादा खुशी आपको आज किस काम को करके आया. अपने साथ-साथ रोज शाम अपने परिवार के हर सदस्य से ये सवाल भी पूछें कि आज का सबसे मजेदार मोमेंट तुम्हारा क्या रहा? देखिए जवाब से कैसी मैजिकल फीलिंग आपको आती है. इससे आपके परिवार के लोगों को भी लगेगा कि आप उनकी खुशियों की परवाह करते हैं.

आप कोई भी काम करते हों. हफ्ते में एक दिन सिर्फ अपने और अपने परिवार के लिए निकालिए. अपने शहर की उन जगहों की लिस्ट बनाइए जहां आप शांति के साथ और कम खर्च में और प्राकृतिक नजारों के बीच अपना पूरा दिन बिता सकते हैं. वहां जाइए, शांति से बैठिए, परिवार के साथ बातें कीजिए, बच्चों के साथ बिल्कुल बच्चे बनकर एंजॉय कीजिए. उनके खेल में शामिल होइए...उनके साथ शांत वातावरण में बैठकर खाना खाइए.

यकीन मानिए आपमें नई ऊर्जा का संचार होने लगेगा. कुछ दिनों में सिर्फ आपको ही नहीं आपकी पूरी फैमिली को इस तरह के वीकेंड का इंतजार रहने लगेगा. हफ्ते में सिर्फ एक दिन का मैजिक न सिर्फ आपकी जिंदगी बल्कि चीजों को, और समस्याओं को देखने का आपका नजरिया भी बदल देगा.

ये प्रयोग करके देखिए. आपको आनंद की तलाश में कहीं भटकना नहीं होगा. आपके आसपास के माहौल में ही आनंद उतरता दिखेगा. ये प्रयोग शुरुआत में बस चार हफ्तों के लिए करके देखें... आप अपने और अपने परिवार के लिए मैजिकल सैटरडे, मैजिकल संडे, मैजिकल मंडे... जो भी आपके लिए संभव हो क्रिएट कर सकते हो. उस दिन को सिर्फ खुशियों के लिए डेडिकेट करके देखिए.

हमें ये सत्य समझना होगा कि जीवन बड़ा अमूल्य है. इसमें संसार का सौंदर्य भरा हुआ है, पर उसका आनंद तभी मिल सकता है जब हम जीवन जीने की कला को समझें. अध्यात्म को अपना दोस्त बनाइए. अध्यात्म का मतलब वो थिंकिंग जो आपको आपसे जोड़े. यह जीवन जीने की कला सिखाता है. जिन्होंने इसका महत्व समझ लिया उनके लिए यह एक दिव्य विधा है. यह मनुष्य को हर दुख, कष्ट, विपत्ति और चिंता से छुटकारा दिलाकर आनंद से सराबोर करता है.

सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...

  ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं- 'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व ...