Sunday 5 May 2024

सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...

 

ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं-

'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व रहने के लिए स्थान चाहिए. उन्हें उन प्राणियों से बचाव के लिए जगह चाहिए जो मारना चाहते हैं और उन प्राणियों का इलाका चाहिए जहां उनके शिकार प्राणी या वनस्पति उपलब्ध होते हैं. इस प्रकार कब्जेदार व कब्जा करने वाले तथा आक्रमणकारी और बचाव करने वाले के बीच निरंतर जंग चलती रहती है. इसमें जो जहां भारी पड़ता है वही सर्वाइव करता है. बाकी या तो सिकुड़ते चले जाते हैं या उनका अस्तित्व खत्म हो जाता है.'

यही थ्योरी दुनिया पर, जिंदगी पर भी काम करती है. सतह के नीचे हर किसी का संघर्ष चल रहा है, चाहे वो इंसान हो, कोई और जीव हो, पेड़-पौधे हों, पानी के अंदर के जीव हों या ब्रह्मांड का कोई और तत्व...

डार्विन लिखते हैं- हर प्राणी एक काल में अपनी तेजी से वृद्धि करता है और एक काल में उसका तेजी से विनाश होता है. हर किसी को अपने स्तर पर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते रहना पड़ता है. यही संसार के चलने, परिवर्तनशील होने और बने रहने का विज्ञान है, यही प्रकृति का विज्ञान है.

संस्कृत का एक श्लोक है- परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति...

यानी परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर है. यानी आपका ब्रह्मांड और ये जीवन लगातार बदल रहा है, अगर आप इसे अपनाते हैं तो इसका मतलब है कि आप इसके साथ चल रहे हैं. आप हो रहे बदलावों को अपना रहे हैं और वर्तमान समय के अनुरूप खुद को ढालते जा रहे हैं. यानी कि आप ब्रह्मांड के नियमों के अनुरूप खुद को ले जा पाने में सक्षम हैं. यही है सर्वाइवल की थ्योरी... जिसके दम पर 6 हजार साल से इंसान इस धरती पर अपने अस्तित्व की रक्षा करने में या अपनी दुनिया को विस्तारित करते जाने में सफल रहा है...

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सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...

  ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं- 'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व ...