हमारी खुशी की कुंजी हमारे पास ही है. हमारी समस्याओं का समाधान हमारे पास ही है. इसके लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है बल्कि खुद से खुद की पहचान कराने की जरूरत है. अपने अंदर और बाहर के तार को जोड़ने की जरूरत है. आइए Happy Science के जरिए मिलकर रास्तों को तय करते हैं, मुश्किलों को आसान बनाते हैं.
Sunday 25 June 2023
Sunday 11 June 2023
अक्लमंद इंसान हर जंग नहीं लड़ता...
अक्लमंद आदमी हर जंग नहीं लड़ता. कई बार लोग आपकी चुप्पी को कमजोरी समझ सकते हैं लेकिन यहीं आपको अपनी प्राथमिकताएं तय करनी हैं, बाधाओं को न बढ़ाते हुए अगर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना है तो आपको स्मार्टली पिक करना है कि किस जगह आपको साइलेंट रहना है, किस जगह हार जाना है और किस जगह अड़ जाना है.
अगर आप हर जंग को अपनी आन का मुद्दा बनाने लगे तो आपको सड़क चलते रोजाना ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनसे झगड़े में उलझे ही रह जाएंगे. ऐसे हालात में शांत बने रहें, अपने लक्ष्य पर फोकस करके काम करते जाएं ताकि आपके लिए सिर्फ आपके लक्ष्य मायनें रखें. आप खुद पर काम करते जाएं और अपने तय किए हुए लक्ष्य की ओर बढ़ते जाएं. वक्त आएगा तो सब हैरान होंगे कि आपकी शांति का राज क्या था?
आप खुद को कभी भी दूसरों की गलतियों या खुद के क्रोध रूपी कमजोरी का शिकार मत बनने दें. कई बार क्रोध की वजह से काम बिगड़ जाते हैं, रिश्तों में तनाव बढ़ जाता है. इसीलिए क्रोध से बचना चाहिए.
इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है.
पुराने समय में एक सेठ के पास संत भिक्षा मांगने पहुंचे. सेठ भी धार्मिक स्वभाव का था. उसने संत को दान दिया. सेठ ने संत से कहा कि गुरुजी मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं.
संत ने कहा कि ठीक है पूछो, क्या पूछना चाहते हो? सेठ ने पूछा कि गुरुजी मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं? संत ने कहा कि मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया.
संत के मुंह से ऐसा सुनते ही सेठ क्रोधित हो गया. वह सोचने लगा कि ये कैसा संत है, मैंने इसे दान दिया और ये मुझे ही ऐसा जवाब दे रहा है. सेठ ने गुस्से में संत को खूब खरी-खोटी सुना दी. कुछ देर बाद सेठ शांत हो गया, तब संत ने कहा कि जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ अप्रिय बोला, तुम्हें गुस्सा आ गया. गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे, इस स्थिति में अगर मैं भी तुम पर गुस्सा हो जाता तो हमारे बीच झगड़ा हो जाता है.
संत ने सेठ को समझाया कि क्रोध ही हर झगड़े की जड़ है. अगर हम क्रोध नहीं करेंगे तो कभी वाद-विवाद होगा ही नहीं. गुस्से में काम सुधरते नहीं हैं और ज्यादा बिगड़ जाते हैं. इसीलिए क्रोध को काबू करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. हमेशा धैर्य बनाए रखना चाहिए.
Sunday 4 June 2023
मुश्किलों के तूफां के पार...
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,
ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं,
हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर,
ये ठोकरें ही तो हमें चलना सिखाती हैं...
ये एक सत्य है कि महान उपलब्धियां कभी भी आसानी से नहीं मिलतीं. निरंतर चलते रहने का नाम ही जीवन है. जीवन में अगर आपके कुछ सपने हैं और उन सपनों की दिशा में आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो जीवन की कुछ वास्तविकताओं को पहले समझ लेना जरूरी है.
जीवन है तो चुनौतियां भी हैं. इन चुनौतियों को अपनी राह की बाधा न मानकर आप अगर इन्हें कुछ नया सीखने का मौका मानकर चलने लगें कि राह काफी आसान लगने लगेंगी. क्योंकि जीवन में हर तूफान आपको तबाह करने ही नहीं आता. आपको समझना होगा कि कई बार मुश्किल परिस्थितियां इसलिए भी आती हैं कि वे आपके अंदर की आत्मशक्ति से आपकी पहचान करा सकें.
जब आप मुश्किल हालातों का हिम्मत से सामना करते हैं और उनके पार पहुंच जाते हैं तो आप पाते हैं कि आपको खुद पता नहीं था कि आपके अंदर कितनी ताकत थी. इसलिए जीवन में कभी भी मुश्किल परिस्थितियां आएं तो धैर्य रखें, शांत हो जाएं और उन हालातों से कैसे निपटे इसपर शांति से विचार करें.
आपको ये समझना होगा कि जीवन में जब भी आप और ऊंचा उठने की कोशिश करेंगे तो चुनौतियों का लेवल भी बढ़ जाएगा और उनसे पार पाने के लिए आपमें ढृढ़ता और व्यवहारकुशलता की जरूरत होगी. मुश्किलें आएंगी लेकिन जब आप उनके सामने हार मानने की बजाय खुद को उनके समकक्ष खड़ा करने की कोशिश करेंगे को आपका एक नया वर्जन सामने आएगा. यही जीवन में आगे बढ़ने की प्रक्रिया है.
सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं- 'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व ...
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हम सबके मन में अक्सर ये सवाल आता है कि जीवन को कैसे जिया जाए. क्या किया जाए जिससे जीवन सार्थक बन सके. खोखलेपन और दिखावे की जिंदगी से मुक्ति ...
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कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकून, जिसमें जितना ज़र्फ़ है, उतना ही वो ख़ामोश है...
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महात्मा गांधी कहा करते थे- 'मानवता सागर की तरह है, अगर सागर की कुछ बूंदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता. खुद वो बदलाव बनिए जो ...