Wednesday 22 February 2023

हमेशा समस्या का दूसरा पहलू खोजें...

रूस में एक कहावत है- A hammer shatters glass but forges steel.

यानी हथौड़े की चोट शीशे को तोड़ देती है लेकिन लोहे को फौलाद बना देती है.



हमारे सामने जीवन में रोज नई-नई समस्याएं आती हैं. तब हम बेहद परेशान हो जाते हैं लेकिन आपने कभी गौर किया है कि कुछ समय बाद जब हम उस समस्या से निकल चुके होते हैं तो वो पल हमें कितना आसान लगता है. आप अतीत में आए किसी मुश्किल वक्त के बारे में सोचकर देखें कि उससे आपके जीवन में कैसे बदलाव आए. क्या जिंदगी वहीं रुक गई या फिर उस मुश्किल हालात ने आपको और भी मजबूत बनाकर उभार दिया?

ये नतीजा ही बताता है कि हम शीशे के बने हैं या लोहे के? यहां विजेताओं और बीच में मैदान छोड़ जाने वालों में एक ही फर्क है कि विजेता बीच में मैदान नहीं छोड़ते. उन्हें बस एक बात पता होती है कि जीत बस आने वाली है. वो कहते हैं न कि- 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.'

जब मुसीबतें आती हैं तब पहाड़ की तरह लगती हैं. कई बार लगता है कि सबकुछ खत्म. लेकिन याद रखें जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता तो मुसीबतें भी कैसे स्थायी हो सकती हैं. मुश्किलें आएं तो कहां से शुरुआत करें ये सवाल आप सबके मन में उठ रहा होगा. तो उसका जवाब ये है कि मुश्किल आएं तो पहले शांत हो जाएं, एक प्लान बनाएं. जो जरूरी है उससे शुरुआत करें, फिर जो मुमकिन है वो करें, और फिर आप अचानक पाएंगे कि आप नामुमकिन काम भी करने लगे हैं.

समस्या आए तो उसके दूसरे पहलू को देखें... हल आसान हो जाएगा

मुश्किलें क्या हैं अगर आप समझ लें तो रास्ते आसान हो जाएंगे. जिंदगी हम सबको धक्के मारती है. कुछ लोग हार मान लेते हैं और बाकी के लोग लड़ते रहते हैं. हर धक्के के जरिए जिंदगी आपसे कहती है- जाग जाओ, मैं तुम्हें कुछ सीखाना चाहती हूं. कुछ लोग सबक सीख लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. वे जिंदगी के धक्कों का स्वागत करते हैं. ज्यादातर लोग छोड़ देते हैं. जो टिके रह जाते हैं मैदान में वही विजेता बनते हैं.

एक बाप-बेटे की कहानी बहुत रोचक है. पिता कोई काम करने में बिजी था. बेटा बार-बार आता और डिस्टर्ब करता. पिता परेशान हो गया और सोचा कि इसे किसी काम में उलझाया जाए. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया- देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूं, तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा. और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.

बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे अपना काम कर सकेंगे. लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला, 'ये देखिए पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है.'

पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, उन्होंने पूछा- 'तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था?'

बच्चे ने कहा- कहां पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया... और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए.

दोस्तों लाइफ में आई प्रॉब्लम्स भी कई बार ऐसी ही होती हैं. सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पाना असंभव हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही प्रॉबलम्स आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आए तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाय अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं.

जब कभी जीवन में मुश्किलें आएं तो एक नई ट्रिक ट्राई करें. मुश्किल को आने दें, शांति से उसका सामना करें और सोचे कि इस वक्त क्या जरूरी है और उसे किए जाने से एक सकारात्मक बदलाव आपके जीवन में क्या आएगा. फिर उसे लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ जाएं. आप देखिएगा आपकी मुश्किलें कम होती लगेंगी. सफलता की राह साफ होने लगेगी.  

यदि असफल भी हो जाओ तो इसे एक चैलेंज के रूप में लो. यह असफलता स्थायी नहीं है बल्कि हमें बताने आती है कि कुछ कमी रह गई थी और सफलता ज्यादा दूर नहीं है. कारणों का पता करो और उसपर काम करो, बस दोबारा वो गलती नहीं दोहरानी है.

'सफल होना है कि कदम भारी रख,

बाहर निकल तूफानों से यारी रख

कदम-कदम पर मिलेंगी मुश्किलें, ये तय है

पर तू निरंतर अपना सफर जारी रख...'

Sunday 19 February 2023

दो किस्से... जो जीवन के प्रति आपका नजरिया बदल देंगे

आज आपको दो किस्से सुनाते हैं जो बताएंगे कि आपको आगे बढ़ने के लिए, जीवन में कुछ हासिल करने के लिए प्रेरणा कहां से और कैसे लेनी हैं. आपकी अपनी सोच, आपका अपना नजरिया ही आपके अंदर स्वाभिमान भरेगा और सफलता के रास्ते पर लाएगा. आपके लिए जानना जरूरी है कि अंदरूनी प्रेरणा क्यों जरूरी है?


पहला किस्सा-

एक भिखारी चौराहे पर कलम से भरा एक कटोरा लेकर बैठा हुआ था और आने-जाने वालों से कुछ पैसे देने की गुहार लगा रहा था. एक नौजवान बिजनेसमैन वहां से गुजरा. उस नौजवान ने कटोरे में कुछ पैसे डाले और आगे बढ़ गया. कुछ कदम आगे चलकर वह वापस आया और कटोरे में से कुछ कलम उठाते हुए बोला- इसकी कीमत है...ठीक. आखिरकार तुम भी एक बिजनेसमैन हो और मैं भी. फिर वह चला गया.

एक साल बाद वह नौजवान बिजनेसमैन एक पार्टी में गया. वह भिखारी भी वहां सूट-टाई लगाए आया था. नौजवान बिजनेसमैन को पहचानकर वह भिखारी उसके पास गया और बोला- आप शायद मुझे नहीं पहचानते लेकिन मैं आपको जानता हूं और कभी भूल नहीं सकता. उसने एक साल पहले की पूरी कहानी उसे याद दिलाई. नौजवान ने कहा- अब जब तुमने याद दिलाया तो मुझे याद आया कि तुम तो एक भिखारी थे न, यहां पार्टी में सूट-बूट में क्या कर रहे हो.

भिखारी ने कहा- आप शायद नहीं जानते कि आपने मेरे लिए उस दिन क्या किया? मेरी जिंदगी में आप शायद वो पहले इंसान थे जिसने मेरा स्वाभिमान वापस लौटा दिया. आपने मेरे कटोरे से कुछ पेन उठाकर पैसे दिए और कहा कि तुम भी बिजनेसमैन हो और मैं भी. आपके जाने के बाद मैं काफी देर तक अपने बारे में सोचता रहा कि मैं यहां क्या कर रहा हूं. मैं भीख क्यों मांग रहा हूं? तभी मैंने फैसला कर लिया कि अब मैं भीख नहीं मागूंगा और कुछ बनकर दिखाऊंगा. मैंने अपना झोला बंद किया और काम करना शुरू किया और आज जो भी हूं आपके सामने हूं.

मैं सिर्फ आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि आपने मुझे मेरा खोया हुआ स्वाभिमान वापस लौटा दिया. उस घटना ने मेरी जिंदगी बदल दी. यहां उस नौजवान बिजनेसमैन के कुछ शब्दों ने उस भिखारी का परिचय उसे खुद से करा दिया. वह खुद सोचता रहा, खुद के नए विचारों से प्रेरित हुआ और फिर अपनी जिंदगी बदलने की राह पर चल पड़ा. जब वह फैसला करके आगे बढ़ गया तो फिर बदलाव भला कौन रोक सकता था.

दूसरी कहानी-

दूसरी कहानी नजरिये की है. एक ही स्थिति दो लोगों के सामने होती है. एक समान हालात को कौन किस नजरिये से देखता है उसकी आगे की जिंदगी उसी के मुताबिक होती है. ये दो भाइयों की कहानी है जिनका पालन-पोषण एक ही माहौल में हुआ था लेकिन दोनों की जिंदगी में बहुत बड़ा फर्क था. इनमें से एक भाई नशे और शराब का आदी था जो अक्सर अपने परिवार वालों को मारता-पीटता था. जबकि दूसरा भाई एक कामयाब बिजनेसमैन था. समाज में उसकी इज्जत थी. उसका परिवार भी बेहद खुशहाल और संपन्न था. लोग जानना चाहते थे कि एक ही मां-बाप की संतान होने और एक ही माहौल में पलने के बावजूद इन दोनों भाइयों के स्वभाव में इतना फर्क क्यों था?

पहले भाई से लोगों ने ये बात पूछी- तुम ऐसे काम क्यों करते हो? नशे के आदी हो और शराब पीते हो. परिवार वालों को पीटते हो. इसकी प्रेरणा तुम्हें कहां से मिलती है? उसने जवाब दिया- मेरे बाप से. मेरा बाप नशेबाज है, शराबी है और परिवार वालों को पीटता है. मैंने बचपन से यही देखा है. ऐसे हालात में आप मुझसे और क्या उम्मीद करते हैं. यही तो मैं हूं.

लोग अब दूसरे भाई के पास पहुंचे. उससे भी वही सवाल पूछा और कहा- आप हर काम सही कैसे कर रहे हैं? आपको यह प्रेरणा कहां से मिलती है? सोचिए उसने क्या जवाब दिया. ''मेरे बाप से, मैं जब छोटा था और अपने बाप को शराब पीकर हर गलत काम करते, मारते-पीटते देखता था तभी मैंने फैसला कर लिया था कि मैं ऐसा नहीं बनूंगा,''

दोनो भाई अपनी शक्ति और प्रेरणा एक ही जगह से पा रहे थे. लेकिन एक ने गलत रूप में अपनाया और दूसरे ने सबक के रूप में. बस यहीं से जिंदगी में फर्क आना शुरू हो गया. आप खुद तय कर सकते हैं आप अपने जीवन में कौन सा नजरिया अपनाना चाहेंगे?

Sunday 12 February 2023

वक्त कैसा भी हो गुजर ही जाता है...

बुरा भी आता है, भला भी आता है

ठहरता नहीं वक्त गुजर ही जाता है...


जीवन एक रहस्य है, जिसको जीना है, एंजॉय करना है. जिंदगी है तो समस्याएं तो आती ही रहेंगी लेकिन उस पर आपका रिएक्शन तय करेगा कि उसमें से आप टूटकर निकलेंगे या मुस्कराते हुए विजेता की तरह निकलेंगे. याद रखिए मुसीबतें आती हैं जीवन में परिवर्तन करने के लिए. 

उम्मीद है तो रास्ता है. हमेशा याद रखें हमारी आखिरी उम्मीद हम स्वयं हैं. और जब तक हम हैं उम्मीद कायम है. लाइफ में जब भी कोई समस्या आए तो दो चीजें याद रखें-

1. ये समस्या कोई नई समस्या नहीं है. आपसे पहले लाखों लोगों को ये समस्या आ चुकी है.

2. हजारों-हजार लोग इस समस्या से कामयाबी के साथ बाहर निकल चुके हैं.

ओशो कहते हैं-  जीवन को आनंदित होकर लेते रहो. मुश्किल समय भी आए तो गुजर ही जाएगा.

एक बड़ी प्रसिद्ध सूफी कहानी है.

एक सम्राट ने अपने सारे दरबारी लोगों और बुद्धिमानों को बुलाया और उनसे कहा– मैं कुछ ऐसा सूत्र चाहता हूं, जो छोटा हो, एक वचन में पूरा हो जाये और जो हर घड़ी में काम आए. दुख हो या सुख, जीत हो या हार, जीवन हो या मृत्यु सब में काम आये, तो तुम लोग ऐसा सूत्र खोज लाओ. बड़ी देर तक मंथन चला और कुछ हल नहीं निकला. फिर सबने राजा को सुझाया- हमने सुना है एक सूफी फकीर गांव के बाहर ठहरा है वह प्रज्ञा को उपलब्ध, संबोधी को उपलब्ध व्यक्ति है, क्यों न हम उसी के पास चलें?

लोगों ने जाकर उस सूफी फकीर को पूरी बात बताई. उसने एक अंगूठी पहन रखी थी अपनी उंगली में वह निकालकर सम्राट को दे दी और कहा– इसे पहन लो. इस पत्थर के नीचे एक छोटा सा कागज रखा है, उसमें सूत्र लिखा है, वह मेरे गुरु ने मुझे दिया था, मुझे तो जरूरत न पड़ी इसलिए मैंने अभी तक खोलकर देखा भी नहीं.

उन्होंने एक शर्त रखी थी कि जब विपरित हालात हों और कुछ भी उपाय न रह जाये, तब ही इसे खोलकर पढ़ना.

सम्राट ने अंगूठी पहन ली, वर्षों बीत गये. कई बार जिज्ञासा भी हुई. फिर सोचा कि कहीं खराब न हो जाए, फिर काफी वर्षों बाद एक युद्ध हुआ जिसमें सम्राट हार गया, और दुश्मन जीत गया. उसके राज्य को हड़प लिया. वह सम्राट एक घोड़े पर सवार होकर भागा अपनी जान बचाने के लिए. राज्य तो गया संघी, साथी, दोस्त, परिवार सब छूट गए., दो-चार सैनिक और रक्षक उसके साथ थे वे भी धीरे-धीरे हट गये क्योंकि अब कुछ बचा ही नहीं था तो रक्षा करने का भी कोई सवाल न था.

दुश्मन उस सम्राट का पीछा कर रहा था, तो सम्राट एक पहाड़ी घाटी से होकर भागा जा रहा था. उसके पीछे घोड़ों की आवाजें आ रही थीं. टापे सुनाई दे रही थी. प्राण संकट में थे, अचानक उसने पाया कि रास्ता समाप्त हो गया, आगे तो भयंकर गड्ढा है वह लौट भी नहीं सकता था, एक पल के लिए सम्राट स्तब्ध खड़ा रह गया कि क्या करें?

फिर अचानक याद आई, खोली अंगूठी, पत्थर हटाया, निकाला कागज, उसमें एक छोटा सा वचन लिखा था- 'यह वक्त भी गुजर जाएगा'.

सूत्र पढ़ते ही उस सम्राट के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई. उसके चेहरे पर एक बात का खयाल आया. सब तो बीत गया, में सम्राट न रहा, मेरा साम्राज्य गया, सुख बीत गया, जब सुख बीत जाता है तो दुख भी स्थिर नहीं हो सकता. शायद सूत्र ठीक कहता है. अब करने को कुछ भी नहीं हैं लेकिन सूत्र ने उसके भीतर कोई सोया तार छेड़ दिया. कोई साज छेड़ दिया. यह भी बीत जायेगा. ऐसा बोध होते ही जैसे सपना टूट गया. अब वह व्यग्र नहीं, बैचेन नहीं, घबराया हुआ नहीं था. वह बैठ गया.

संयोग की बात थी, थोड़ी देर तक तो घोड़े की टाप सुनायी देती रही. फिर टाप बंद हो गई. शायद सैनिक किसी दूसरे रास्ते पर मुड़ गए. घना जंगल और बिहड़ पहाड उन्हें पता नहीं चला कि सम्राट किस तरफ गया है. धीरे-धीरे घोड़ों की टाप दूर हो गयी, अंगूठी उसने वापस पहन ली.

कुछ दिनों बार दोबारा उसने अपने मित्रों को वापस इकठ्ठा कर लिया, फिर उसने वापस अपने दुश्मन पर हमला किया, पुनः जीत हासिल की, फिर अपने सिंहासन पर बैठ गया. जब सम्राट अपने सिंहासन पर बैठा तो बड़ा आनंदित हो रहा था.

तभी उसे फिर पुनः उस अंगूठी की याद आई, उसने अंगूठी खोली, कागज को पढ़ा, फिर मुस्कुराया, दोबारा सारा आनन्द विजयी का उल्लास, विजय का दंभ सब विदा हो गया. उसके वजीरों ने पूछा- आप बड़े प्रसन्न थे अब एक दम शांत हो गये क्या हुआ ?

सम्राट ने कहा- जब सभी बीत जायेगा तो इस संसार में न तो दुखी होने को कुछ है और न ही सुखी होने को कुछ है. तो जो चीज तुम्हें लगती है कि बीत जायेगी उसे याद रखना, अगर यह सूत्र पकड़ में आ जाये, तो और क्या चाहिए ? तुम्हारी पकड़ ढ़ीली होने लगेगी. तुम धीरे-धीरे अपने को उन सब चीजों से दूर पाने लगोगे जो चीजें बीत जायेगी. क्या अकड़ना, कैसा गर्व, किस बात के लिए इठलाना, सब बीत जायेगा. यह जवानी बीत जायेगी.

इसलिए जीवन में हालात जैसे भी हों साहस के साथ उसका सामना कीजिए. जो नियती है उसे स्वीकार कीजिए, बेहतर की ओर लगातार कोशिश कीजिए. कोई भी चीज आपको तब तक नहीं हरा सकती जबतक आप खुद हार को स्वीकार न कर लें. 

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर लिखते हैं-

सच है विपत्ति जब आती है

कायर को ही दहलाती है

सूरमा नहीं विचलित होते

क्षण एक नहीं धीरज खोते

विघ्नों को गले लगाते हैं

कांटों में राह बनाते हैं...

सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...

  ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं- 'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व ...