Sunday 18 December 2022

जहां तक सोच, वहां तक सफलता...

ओशो की एक प्रसिद्ध लाइन है- अपने जीवन की सीमाएं तुमने ही बनाई हैं. तुम्हारा मस्तिष्क असाधारण काम कर सकता है बशर्ते कि तुम उसे इसके लिए प्रशिक्षित कर सको.


आप आज जिंदगी में कहां हो और आप कहां पहुंचना चाहते हो इसकी कोई सीमा नहीं है. तुम वहां तक पहुंच सकते हो जहां तुम खुद को रोक नहीं लेते. अल्फ्रेड लॉर्ड व्हाइट हैड कहते हैं- महान स्वप्नकारों के स्वप्न पूरे ही नहीं होते बल्कि वे उनसे भी आगे जाते हैं.

आज आपको अपने ही देश के एक किसान के बेटे की कहानी सुनाने जा रहा हूं. जिसने कभी न रुकने की अपनी आदत के कारण न सिर्फ सफलता की ऊंचाई पर खुद को पहुंचाया बल्कि कई सेक्टर्स को बदलकर हजारों लाखो लोगों को फायदा भी पहुंचाया. एक ऐसे लड़के की कहानी जो बचपन में बैलगाड़ी चलाता था. दुनिया की सीमाओं को तोड़ता हुआ वो एक ऐसे एयरलाइंस कंपनी का मालिक बन गया जिसने सस्ते में सेवाएं शुरू कीं और आम लोगों को प्लेन तक पहुंचाया.

'ये कहानी है गोरूर रामास्वामी अयंगर गोपीनाथ यानी कैप्टन गोपीनाथ की. इनका जन्म कर्नाटक के एक छोटे से गांव में हुआ. परिवार में 8 भाई बहन थे. पढ़ाई के साथ-साथ पिता को आर्थिक मदद देने के लिए बचपन में उन्होंने बैलगाड़ी भी चलाई. फिर एनडीए की परीक्षा निकालकर सेना की नौकरी में गए और 8 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं. यहां देश के अधिकांश लोगों की कहानी रुक जाती है लेकिन गोपीनाथ के लिए ये तो सफर की शुरुआत थी. डेयरी फार्मिंग, रेशम उत्पादन, पोल्ट्री फार्मिंग, होटल, एनफील्ड बाइक डील,  स्टॉकब्रोकर जैसी कई फील्ड में हाथ आजमाते गए और जिंदगी को सीखते-समझते गए. एक दिन गोपीनाथ को आइडिया आया कि अगर बसों और ट्रेनों में चलने वाले तीन करोड़ लोगों में से सिर्फ 5 फीसदी लोग हवाई जहाजों से सफर करने लगें तो विमानन बिजनेस को साल में 53 करोड़ उपभोक्ता मिलेंगे. बस इसी ख्याल ने उन्हें एविएशन फील्ड में उतार दिया. फिर एयर डेक्कन की नींव पड़ी. 4 साल के भीतर ही हर रोज 25,000 लोग सस्ती कीमतों पर हवाई सफर करने लगे. साल 2007 में देश के 67 हवाईअड्डों से एक दिन में इस कंपनी की 380 उड़ानें चलाई जा रही थीं. और कंपनी के पास 45 विमान हो चुके थे. ग्राहकों को अन्य एयरलाइन की तुलना में आधे दर पर टिकट की पेशकश की गई. उन्होंने अपने यात्रियों को 24 घंटे कॉल सेंटर की सेवा उपलब्ध की, ताकि वे कभी भी टिकट बुक कर सकते हैं. ये सब भारत में पहली बार हुआ था. अरबों रुपये का ये साम्राज्य एक आम लड़के की उस सोच और कोशिशों का नतीजा थी जो दुनिया में सफलता की किसी भी सीमा को मानने को तैयार नहीं थी.'

ये एक छोटी सी कहानी है जो सिखाती है कि जिंदगी में सबकुछ संभव है बशर्ते कि आपका मन उस पर भरोसा कर सके, बशर्ते कि आप खुद पर भरोसा कर सकें. मशहूर लेखक पाउलो कोएल्हे अलकेमिस्ट में लिखते हैं- अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है.

मनचाही जिंदगी पाने के लिए पहले सपना देखना पड़ता है और फिर उसके लिए लड़ना पड़ता है. सिर्फ यह ज्ञात करो कि तुम्हें क्या हासिल करना है. और फिर उसको पाने में जुट जाओ. ये राह कठिन होगी. आसान तो बिल्कुल नहीं होगी. क्योंकि किसी भी शिखर का रास्ता समतल नहीं होता. पहाड़ चढ़ने के लिए ऊंची चढ़ाई करनी पड़ती है. सफलताओं के लिए रिस्क लेना पड़ता है. लड़ना पड़ता है खुद से और दुनिया से भी, संघर्ष करना पड़ता है.

लेकिन जानना होगा कि इसकी शुरुआत कहां से होती है? बड़ी सफलता हासिल करने के लिए पहले खुद के अंदर पूरी कहानी बुननी पड़ती है. याद रखें- किसी भी कार्य की रचना दो बार में होती है- पहले मस्तिष्क की कार्यशाला में, और उसके बाद यथार्थ में. पहले आइडिया दिमाग में बुना जाता है, फिर शुरू होता है उसे हासिल करने के लिए संघर्ष का दौर. फिर लंबी प्रक्रिया के बाद उसे हासिल करने का सपना पूरा होता है. इसलिए जरूरी है कि बदलावों की शुरुआत पहले अंदर से करें.

जब आप अपनी आंतरिक दुनिया को परिवर्तित करने में लग जाते हैं आपका जीवन शीघ्र ही साधारण से असाधारण क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है. आचार्य पतंजलि कहते हैं- जब तुम किसी महान लक्ष्य, किसी असाधारण योजना से प्रेरित होते हो, तुम्हारे सारे विचार बन्धनमुक्त हो जाते हैं, तुम्हारा मस्तिष्क सीमाओं को पार कर जाता है, तुम्हारी चेतना हर दिशा में अपना विस्तार करता है. और तुम अपने आपको एक नई, महान और आश्चर्यजनक दुनिया में पाते हो. सुप्तशक्तियां, कार्य दक्षता और उच्च मानसिक योग्यता सभी चैतन्य हो जाते हैं, और तुम अपने आपको जैसा कभी सपने में सोचा हो, उससे भी महान व्यक्ति के रूप में पाते हो.

सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...

  ओरिजिन ऑफ स्पेशिज में 'सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट...' की अपनी थ्योरी लिखते हुए डार्विन लिखते हैं- 'हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व ...