आधुनिक जीवनशैली हमें लगातार व्यस्त रखे हुए है. काम का दबाव, परिवार का दबाव, भविष्य की चिंता और तमाम चुनौतियां हमें लगातार चिंतित कर रही हैं. हम इन चुनौतियों से उबरने के लिए लगातार बिजी हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी कोशिशों के बावजूद हम परेशान क्यों हैं? क्योंकि हम अपनी प्रकृति को, अपनी प्राकृतिक ताकत को भूल चुके हैं. वो नेचुरल तरीका जो हमें बचपन में ईश्वर ने दिया था. शायद हम भूल चुके हैं कि हम इंसान प्रकृति की इच्छा के अनुसार ही कुछ कर सकते हैं.
हम लाख परेशान हो जाएं लेकिन होगा वही जिसकी इजाजत हमें प्रकृति देगी. इस ब्रह्मांड में सबकुछ एक अदृश्य शक्ति के हाथों संचालित हो रहा है जिसे हम ईश्वर के रूप में देखते हैं. तो परेशानियों से लड़ने का एकमात्र जरिया है खुद को प्रकृति के साथ जोड़ लेने का. बिल्कुल एक बच्चे की तरह. जो अच्छा महसूस होने पर खुलकर हंसता है और बुरा महसूस होने पर खुलकर रोता है. यानी उसकी प्रतिक्रिया एकदम नेचुरल होती है.
जब भी आप परेशानियों में घिरें एकदम शांत हो जाएं, खुद को एक मौका दें. बैठकर हल सोचें और प्रकृति को अपने हिसाब से काम करने दें. शांत मन आपकी परेशानियों का हल भी देगा और आपको स्वास्थ्य के नुकसान से भी बचाएगा.
ईश्वर की शक्ति का यहां साफ संदेश है कि जो है सो है...जो ठीक किया जा सकता है वो किया जाना चाहिए लेकिन परेशान होकर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता. इसलिए ईश्वर की शक्ति और अपने मन की ताकत पर भरोसा कीजिए. यकीन मानिए आपके पास अब एक, दो और इससे भी ज्यादा विकल्प होंगे.